Friday, January 20, 2012

ಹಿಂದಿ ಕವಿತೆ : सेल ! सेल ! सेल !

Nityanand Tiwari

दौड़ सभी की कुर्सी खातिर
शुरू तुम्ही से होती है
नेता जी की नज़रे शातिर
... फ़िदा तुम्ही पे होती है

ले लो सारे कसमे वादे
काम तुम्हारे आयेंगे
आखिर दिन तक ये चुनाव के
गीत तुम्हारे गायेंगे

सेल लगाये बैठे है ये
गाँव गाँव और शहर शहर
दारू, मुर्गा, गाड़ी, कपडा
राजनीती की नई लहर

खद्दर टोपी सदरी धोती
नहीं दिखाई देता है
ब्रांडेड जींस पहनके आये
नए उम्र के नेता है

टिकट ख़रीदा है इन्होने
मंत्री इनको बनना है
दे दो अपना वोट इन्ही को
चमचो का ये कहना है

धंधा करते है नेता जी
सेल लगाये बैठे है
पांच साल की कुर्सी खातिर
आस लगाये बैठे है

एक खरीदो और फ्री पाओ
एक नहीं लो सौ दो सौ
नेता और समस्या दोनों
साथ है जैसे दीपक - लौ

बज गया बिगुल चुनावी
नेता- चमचा बन गए साथी
साइकल, कमल, बाल्टी, हाथी
सब है तेरे सुख के साथी

सोच समझ कर करना कुछ भी
भैया तेरी बारी है
तू है जनता लोकतंत्र की
पलड़ा तेरा भारी है

सोच समझकर गिनना नोट
गवा न देना अपना वोट
पड़े अगर तुम लालच में
खाओगे पंचवर्षीय चोट.

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ದಾಸಿಮಯ್ಯನ ವಚನ

ಒಡಲುಗೊಂಡವ ಹಸಿವ;  ಒಡಲುಗೊಂಡವ ಹುಸಿವ  ಒಡಲುಗೊಂಡವನೆಂದು  ನೀನೆನ್ನ ಜರಿದೊಮ್ಮೆ ನುಡಿಯದಿರ ನೀನೆನ್ನಂತೆ ಒಮ್ಮೆ ಒಡಲುಗೊಂಡು ನೋಡ ರಾಮನಾಥ.